The Book poems are a source of every countable emotion. These are some handpicked collection of poems and poetry. After reading this you willl believe that someone can be more beautiful than the moon and i believed when I saw her for the first time.
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Girimitiya Shramik Pradali Ka Unmulan: British Adhikariyo evm Gair- Adhikariyon ka Yogdan (1890-1920)
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PURITY OF MIND A JOURNEY AGAINST OUR THOUGHTS
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You Are The Moon
₹150.00 Original price was: ₹150.00.₹140.00Current price is: ₹140.00.
- Author: –Sakshi Singh
- Language : English
- Paperback : 69 pages
- ISBN-13 : 978-93-5515-113-1
- Country of Origin : India
- Generic Name : POetry
- Publisher : Book Rivers(10June 2022)
Category: POETRY
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ज़िन्दगी में अगर प्रेम रस को जीवंत करने वाला झूमता गाता वसन्त है, तो तड़प और वेदनाओं से परिपूर्ण बेहद नीरस बना देने वाली बयार भी है। और इनसे जूझने वाली कोशिशें भी । जिसे शक्ति प्रदान करती गजलें। प्रेम मुहब्बत, तड़प और मानवीय पीड़ा को कलात्मक में ढालती गज़ल अपनी सहज और अलंकृत शैली में एक नई शक्ति एक नई ऊर्जा प्रदान कर जाती है
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Geetika Gunjan (Hindi)
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Product details
- Publisher : Book Rivers (25 August 2020)
- Language : Hindi
- Paperback : 111 pages
- ISBN-10 : 9389914590
- ISBN-13 : 978-9389914597
- Country of Origin : India
- Generic Name : Book
Uski Aakar Baaton Main (Hindi)
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नमस्कार, वर्ष 1990 के पूर्व से काव्यधाराएँ मुझे अपनी आरे आकर्षित करने लगी थीं। परन्तु उन कविताओं, गीतो ंमें मेरा अपना क्या था, मुझे समझ नहीं आता था। वर्ष 1990 मे ंजब मैं कक्षा 10वीं में अध्ययनरत था उन दिनो ंमंैन ेएक छन्दात्मक कविता जिसका शीर्षक ‘‘सपना‘‘ लिखी और उसी को मैं अपनी पहली रचना मानता हँू। जिसे मेर ेसहपाठी यारों ने खबू सुना व सराहा खास कर वर्तमान में रीवा मे ंरहन ेवाले मेरे मित्र श्री बृजेश अग्निहोत्री को आज भी यह रचना बहुत पसंद है। छन्दात्मक रचनाओ ंके बाद मैंने अतुकांत रचनाएँ भी लिखीं पर समय के परिवर्तन न ेमुझमे ंभी परिवर्तन लाया और मैं गीत, गज़ल आदि भी लिखने लगा। इसी दौरान मैंन ेआकाशवाणी एवं मंचीय कवि सम्मेलनों मे ंकाव्यपाठ किया। उसी समय से प्रदेश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं मे ंमेरी रचनाओं का प्रकाशन होता रहा है। मैं शुरू से ही अपना नाम ‘‘कुमार सागर‘‘ लिखता आ रहा हूँ। मैंने वर्ष 1995-96 मे ं एक अखिल भारतीय कविसम्मेलन (दमोह) में भी भाग लिया, जिसके आयाजेक, संयाजेक व मंचीय कवि कौन-कौन थे मुझे याद नहीं, परन्तु यह याद है कि मंच का संचालन श्री अशाके चक्रधर जी ने किया था एव ंआदरणीय कुमार विश्वास भी उस मंच पर थे। उस समय भी लोग न ेश्री विश्वास जी को बहुत सुनना था, हम लागे ांे न े काव्यपाठ किया। दसू र े दिन तीन-चार कवियांे के बीच समाचार पत्रों में मेरा चित्र भी प्रकाशित हुआ, जिससे काव्य-रचना के प्रति मेरा रूझान और भी बढ़ा।
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