कोरोना वायरस ने सभी को अचंभित कर दिया है। इन परिस्थितियों की परिकल्पना किसी ने नहीं की होगी। इस भीषण महामारी से, मिल कर निकलने का प्रयास करना होगा।सभी के सहयोग और सतत् प्रयास से ही, विजय प्राप्त हो पाएगी।इसके लिए हिम्मत और धैर्य की आवश्यकता होगी। कोरोना ने एक अवसर दिया हैं,जीवन मूल्यों और आवश्यकताओं का पुनर्विचार करने को। प्रस्तुत कविता संग्रह, इसी दिशा में एक छोटा सा प्रयास है।लंबे समय से काफी विचार उभर रहे थे,उन्हें कविताबद्ध किया है। निहित विचारों का मंथन करें और स्फूर्ती व ताज़गी के साथ, जीवन की नई शुरूआत करें। आशा करता हूँ कि इस काव्य संग्रह के माध्यम से अपने विचार, वह भावनाएँ आप से सांझा कर पाऊँगा। प्रस्तुत कविताएँ आपको उत्साहित करेंगी और मन को छुएंगी।आप के स्नेह वह प्रतिक्रिया की अपेक्षा रहेगी। -दिनकर चौपड़ा
Lyrical Journey is a collection of poetry about the ups and downs of India, a country whose heart is always filled with hope even in the dark conditions. A collection of 24 poems gives you a striking feature of different phases encountered by country people. Being Indian is itself a complete sense of entirety and that's what the poet wants to describe here in these poems
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'मेरे दिल की सुनो', नीलिमा पाठक पांडेय की व्यक्तिगत जज्बातों के कई रंगो से सृजन किया हुआ एक कविता संग्रह है। उनके अवलोकन और अनुभवों को दर्शाते हुए उनकी ये एक सच्ची कोशिश है। Nilima Pathak Pandey, the author has been true to her observations and experiences to bring you a beautifully sculpted collection of poetry - ' मेरे दिल की सुनो'
हावड़ा मेल अपनी पूरी रफ्तार से चली जा रही थी। निशा आज पूरे एक साल के बाद मायके जा रही थी। उसे पता हंै, कि पापा, बड़ े भईया उसे लने े स्टेशन पर आए ही होगे।ं मांँ बड़ी माँ और भाई-बहनों की पूरी पलटन घर के बाहर वाले बरामदे पर ही खड़ े प्रतीक्षा कर रहे होगे।ं दौड़कर सबसे गले ं मिलूँगी। माँ की ममता भरी गोद और भाई-बहनो ं की चुहल बाजियाँ की याद आत े ही निशी फिर से बचपन की स्मृतियो ं मंे खो ं गई सामने की बर्थ पर पति सुधांशु सोए हुए हंै। खिड़की के पास बैठी निशा अपन े अतीत के पन्नो ं को शनैः शनैः पलटने लगी।
हमारा दृश्य रूप हैं हमारा शरीर। यह प्रकृति की अद्भुत रचना है।इसमें अनन्त शक्तियाँ निहित हैं। सारी प्राप्तियों का साधन शरीर ही है। जीवन में सब कुछ प्राप्त करने का साधन शरीर ही हैं। इसे स्वस्थ, सुगठित, क्रियाशील, ऊर्जावान व अध्यवसायी बनाए रखने का दायित्व हम पर ही है। इसमें कुछ दोष आ यगा तो हम अपना कत्र्तव्य पथ भूल इस साधन की देख-रेख में लग जाएँगे हमारा लक्ष्य पीछे रह जाएगा।
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देवता भी स्वर्ग मे यह गीत गाते हैं कि भारत भूमि मे उत्पन्न होने वाल ेलागे धन्य है। यह भारत स्वर्ग और मोक्ष का सेतु है। स्वर्ग में सुखों को भोग लेने के बाद देवता भी भारत भूमि पर फिर जन्म लेते है।।
सम ~समभाव(equanimity) ,संयुक्त करना, संक्षिप्त विवरण देना,मिलाना ,जोड़ना, योग,जोड़,सम्भावना, सम वेदना और सम शानI “सम” मानव की पहली हिंदी रिक्त कविता, रचना है I First attempt of commonplace, blank verses and relatable poetry by Author Manav
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