काव्य संग्रह का शीर्षक पिट्ठू गरम है पढ़कर मन में यह जरूर लगेगा कि आखिर इसका अर्थ क्या है किन्तु जब शब्दों की यही सादगी अपने काव्य के लालित्य से आनंद की महक बिखेरती है तो यह चर्चित काव्य संग्रह को पढ़ने मन मचल उठता है। कवि अंकुर सिंह को इस सार्थक और प्रशंसनीय लेखन के लिए हार्दिक बधाई और बहुत सारी शुभकामनाएं।
हावड़ा मेल अपनी पूरी रफ्तार से चली जा रही थी। निशा आज पूरे एक साल के बाद मायके जा रही थी। उसे पता हंै, कि पापा, बड़ े भईया उसे लने े स्टेशन पर आए ही होगे।ं मांँ बड़ी माँ और भाई-बहनों की पूरी पलटन घर के बाहर वाले बरामदे पर ही खड़ े प्रतीक्षा कर रहे होगे।ं दौड़कर सबसे गले ं मिलूँगी। माँ की ममता भरी गोद और भाई-बहनो ं की चुहल बाजियाँ की याद आत े ही निशी फिर से बचपन की स्मृतियो ं मंे खो ं गई सामने की बर्थ पर पति सुधांशु सोए हुए हंै। खिड़की के पास बैठी निशा अपन े अतीत के पन्नो ं को शनैः शनैः पलटने लगी।
यह काव्य संग्रह ‘सूरज का साक्षात्कार’ कवि द्वारा साहित्य रूपी आदित्य का साक्षात्कार करने का द्योतक है। इस संग्रह की अधिकांश रचनाएँ समसामयिक घटनाओं के सूक्ष्मावलोकन से उपजी हैं तो अनेक कविताएँ मानव के सामाजिक राजनैतिक जीवन की परिघटनाओं पर आधारित हैं। रचनाकार ने पूरा प्रयास किया है कि इस संग्रह में हर पाठक वर्ग के लिए कुछ न कुछ रहे; बच्चों के लिए, किशोरों के लिए, युवा हृदयों के लिए, अनुभवी मस्तिष्क के लिए। इस संग्रह में नीति है, नैतिकता है, समाज है, देशभक्ति है, मतदाता है, मजदूर है। एक कविता में दाना माँझी है तो एक अन्य कविता में उम्मीदों के दीप भी हैं।
People have always been fascinated by blood: Ancient Egyptians bathed in it, Aristocrats drank it, Indians used both human and animal blood to offer sacrifices to GOD, authors and playwrights used as theme and modern humanity transfuses it. The road to an efficient, safe, and uncomplicated transfusion has been rather difficult but great progress has been made.
सम ~समभाव(equanimity) ,संयुक्त करना, संक्षिप्त विवरण देना,मिलाना ,जोड़ना, योग,जोड़,सम्भावना, सम वेदना और सम शानI “सम” मानव की पहली हिंदी रिक्त कविता, रचना है I First attempt of commonplace, blank verses and relatable poetry by Author Manav
कोरोना वायरस ने सभी को अचंभित कर दिया है। इन परिस्थितियों की परिकल्पना किसी ने नहीं की होगी। इस भीषण महामारी से, मिल कर निकलने का प्रयास करना होगा।सभी के सहयोग और सतत् प्रयास से ही, विजय प्राप्त हो पाएगी।इसके लिए हिम्मत और धैर्य की आवश्यकता होगी। कोरोना ने एक अवसर दिया हैं,जीवन मूल्यों और आवश्यकताओं का पुनर्विचार करने को। प्रस्तुत कविता संग्रह, इसी दिशा में एक छोटा सा प्रयास है।लंबे समय से काफी विचार उभर रहे थे,उन्हें कविताबद्ध किया है। निहित विचारों का मंथन करें और स्फूर्ती व ताज़गी के साथ, जीवन की नई शुरूआत करें। आशा करता हूँ कि इस काव्य संग्रह के माध्यम से अपने विचार, वह भावनाएँ आप से सांझा कर पाऊँगा। प्रस्तुत कविताएँ आपको उत्साहित करेंगी और मन को छुएंगी।आप के स्नेह वह प्रतिक्रिया की अपेक्षा रहेगी। -दिनकर चौपड़ा
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Many surgical procedures have been developed to restore more favorable anatomy for prosthesis support. They include vestibuloplasty, Vestibuloplasty with skin or mucosal grafting; and augmentation with bone grafting procedures. These procedures offered short-term improvement to denture stability and retention; however none showed long-term clinical success. Hence implant dentistry had evolved into a reasonably predictable treatment modality for the majority of such patients
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